जब जीवन में मिलते हैं सच्चे और अच्छे मित्र
मन मस्तिष्क में उभरते हैं सार्थक जीवन चित्र!
मित्र है वह जो हमारे अतीत काल को जानता है
हमारे भविष्य में झांक हम पर विश्वास करता है!
विश्वास रुप में हमें वैसे ही वह स्वीकार करता है
हरदम साथ मिलते रहने का वादा भी निभाता है।
मित्र खेल-खेल में ही हमें पूरा परिपक्व बनाते हैं
कठिन जीवन में अंतस ऊर्जा प्रदान कर जाते हैं।
पहली दोस्ती की शुरुआत होती है बचपन से
अल्हड़,मस्ती भेदरहित निस्वार्थ लड़कपन से।
यह काल और समय जीवन भर याद रहता है
बीच के जीवन में भी मित्र का साथ मिलता है।
बचपन की दोस्ती तन – मन से निरोग बनाती है
यौवनकाल की दोस्ती मन से ताकतवर बनाती है।
बुढ़ापे की दोस्ती दिल दिमाग से स्वस्थ बनाती है
जीवन पथ के पथरीली राह को सार्थकता देती है।
जिगरी दोस्त होते हैं जो हमें कभी हारने नहीं देते
हर जीवन काल और समय जीवन भर साथ चलते।
उम्र के पड़ाव पर नई चीजें मित्र ही सीखा पाते हैं
जीवन के उंच-नीच और जीवन राग बता जाते हैं।
क्योंकि नई पीढ़ी तो कविता रुप के जैसी होती है
और पुराने दोस्त सार्थक अक्षरों के माफिक होते हैं।
नई कविता पढ़ने के लिए अक्षर जानना जरुरी है
यही मित्रता की सार्थकता हमें समझना जरुरी है।
सुरेश कुमार गौरव,स्नातक कला शिक्षक,उमवि रसलपुर,फतुहा,पटना (बिहार)
स्वरचित और मौलिक
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