Site icon पद्यपंकज

मेरी पहचान है – मनहरण घनाक्षरी – PRATIBHA MISHRA

मेरी पहचान है – मनहरण घनाक्षरी 

हिंदी भाषा की महता,

भाव रूप में समता,

सौम्य शील सहजता, जानता जहान है।

संस्कृत की यह जाया,

रखती शुचिता माया,

सजी संवरी सी काया, सबसे महान है।

वीरता है सिखलाती,

प्रेम गीत नित्य गाती,

करुणा भी दिखलाती, लेखनी की शान है।

भारत की राष्ट्रभाषा,

हर मन अभिलाषा,

अस्मिता की परिभाषा, मेरी पहचान है।

कवयित्री – प्रतिभा मिश्रा 

प्रधान शिक्षक 

प्रा वि त आरा

1 Likes
Spread the love
Exit mobile version