Site icon पद्यपंकज

मौसम का रुख गया बदल- भूषण छंद गीत – राम किशोर पाठक

मौसम का रुख बदल रहा – भूषण छंद गीत

सबको विचार करना यह, एक साथ है मिलजुल कर।
मौसम का रुख रहा बदल, जीना लगता है दूभर।।

रही नहीं धरती श्यामल, जाता है जिस ओर नजर।
करती धरती नेत्र सजल, काट दिए जबसे तरुवर।।
भूल गए हरियाली हम, खुशहाली का पग धरकर।
मौसम का रुख रहा बदल, जीना लगता है दूभर।।०१।।

बिना पेड़ का यह जीवन, बन जाता है एक कहर।
गाँवों का अब कर भक्षण, बनते जाते जहाँ शहर।।
बाग बगीचे रहे उजड़, बादल आता छिप-छिपकर।
मौसम का रुख रहा बदल, जीना लगता है दूभर।।०२।।

दिवस मनाएँ लेकर प्रण, खूब लगाए हम तरुवर।
स्वच्छ हमारा नभ थल जल, सदा परिवेश हो हितकर।।
आने वाली पीढ़ी सब, जीवन जी पाएँ बचकर।
मौसम का रुख रहा बदल, जीना लगता है दूभर।।०३।।

एक अकेला हीं तरुवर, करें प्रदूषण को कमतर।
भूतल का ताप नियंत्रण, प्राणवायु देता शुभकर।।
आओ अपनी भूल सहज, करें स्वीकार खुद बढ़कर।
मौसम का रुख रहा बदल, जीना लगता है दूभर।।०४।।

होना होगा हमें सजग, विकास का अब पथ गहकर।
सदा संतुलन कायम रख, कार्य करें जीवन हितकर।।
मुझसे तेरा कल शुभकर, कहता हरपल है तरुवर।
मौसम का रुख रहा बदल, जीना लगता है दूभर।।०५।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version