जीवन में अमृत घोल रहा ,
यह नव वसंत कुछ बोल रहा ।
कौशल है इसकी छटाओं में ,
हर वृक्ष है इसकी भुजाओं में ।
हर रूप है इसकी अदाओं में ।
हर रंग है इसकी लताओं में ।
कोयल कूके हर डाली पर ,
नाचे मयूर हर ताली पर ।
इस विशद वसंत को पाता हूँ ,
इसे हृदय अनंत तक लाता हूँ।
जीवन की खुशियाँ निराली है ,
इसका रूप रंग मतवाली है ।
इस सृष्टि का तरुण नियामक है ,
यह वेला अति फलदायक है ।
मौसम की है यह शुभ्र प्रभा ,
है लगती मानो पुष्प सभा ।
यह उर के अनंत को भाता है ,
यह जीवन का राग सुनाता है ।
यह मौसम है अति सौम्य सुघर ,
यह ऋतु सुंदर अति सृष्टि प्रवर ।
इच्छाएं तब कहाँ सो पाती है ,
तन मन में भी ज्योति जलाती है ।
अनुरक्त फिजा जब छाती है ,
यह स्वयं प्रभा पुंज हो जाती है ।
कण कण में नव प्राण संचरित होता है ,
ऋतुराज वसंत जब अवतरित होता है ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

