Site icon पद्यपंकज

योग बिना जीवन बेकार – शशिकान्त वर्मा

युग-युग की यही पुकार, योग बिना जीवन बेकार।
जो नहीं योग करता, दिन-प्रतिदिन रोग गढ़ता।
मोटापा, बीपी, शुगर, इससे वह नही बचता।।
समय मिले न घड़ी चार, नित करे दस सूर्य नमस्कार।
युग- युग की यही पुकार, योग बिना जीवन बेकार।।
रक्त का करता शुद्धि, बढ़ती इससे सद्बुद्धि।
मस्तिष्क को स्वस्थ बनाता, होती आयुवृद्धि।।
राज, कर्म, भक्ति, ज्ञान, होते इसके चार प्रकार।
युग- युग की यही पुकार, योग बिना जीवन बेकार।।
वैद्य, हकीम पास न आये, तन में स्फूर्ति लाये।
मन को एकाग्र बनाये, आलस्य दूर भगाये।।
आत्मा से करवाता, परमात्मा का दीदार
युग- युग की यही पुकार, योग बिना
जीवन बेकार।।

शशिकान्त वर्मा
प्रा० वि० रामपुर, भभुआ- कैमूर

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version