आसियाने रंगे जाए तो जगमग मनती दीपावली..
जब सब रंग से हो जाए सराबोर तो खिलती होली,
घर में ‘दीपक’ जलाते तो प्रकाश मय दीपावली..
जब चौराहे में अग्नि जलाएं फिर रंगोली होली,
एक में गुड़, मिठाई, मेवे और मिष्ठान के प्रकार हैं,
एक मे लौंग इलायची का बीड़ा,भांग का आहार है,
दोनो, ईश भक्ति का मेल, सनातन का उपहार है,
यही अपनी संस्कृति,धर्म-कर्म का बनता आधार है।
एक में अग्नि (प्रकाश) है,तो एक में रंगोली है
जल में मिल बनती एक दूजे की मस्ती भरी टोली है
एक ईश में आसक्ति,भक्ति रुप मय प्रकाश है
एक ईश भक्त प्रह्लाद आस्था रुपी त्यौहार है।
@सुरेश कुमार गौरव
शिक्षक,
उ.म.वि.रसलपुर फतुहा,पटना (बिहार)
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