आओ बच्चों,वर्ण को सीखो,
पहले पढ़ लो,पीछे लिखो।
अ से अनार,आ से आम,
खाओ बच्चों,कम है दाम।
इ से इमली,ई से ईख,
गुरु से बच्चों,विद्या सीख।
उ से उल्लू,ऊ से ऊन,
एक कहानी मुझ से सुन।
ऋ से ऋषि ए से एक,
उगते हुए सूरज को देख।
ऐ से ऐनक,ओ से ओस,
देखो आए सुभाष चन्द्र बोस।
औ से औरत,अं से अंगूर,
घमंड से कभी न होना चूर।
अ: से बोलो अह,अह,अह,
मीठा आम खूब खाता रह।
क से कबूतर,ख से खरगोश,
बच्चों जगाओ अपने में जोश।
ग से गमला,घ से घर,
जोर जोर से पढ़ाई तू कर।
ड, बेचारा बचा अकेला,
देखो घूमने गया था मेला।
च से चमेली,छ से छतरी,
तूने तो सचमुच हद कर दी।
ट से टमटम,ठ से ठठेरा,
पक्षी का वृक्ष पर है बसेरा।
ड से डमरू,ढ से ढक्कन,
मत कर आपस में तू अनबन।
ण से होता नहीं झमेला,
झूम के खाओ भरपेट केला।
त से तरबूज,थ से थरमस,
देखने जाओ जल्दी सरकस।
द से दवाई,ध से धुनिया,
कितनी प्यारी है ये दुनिया।
न से नल देता है पानी,
बच्चों करना मत मनमानी।
प से पपीता,फ से फल,
आज नहीं मिलना तुम कल।
ब से बकरी,भ से भक्त,
पत्थर होता बहुत है सख्त।
म से भरपेट खाओ मलाई,
तुमसे मिलने दीदी है आई।
य से यज्ञ,र से रस्सी,
देखो जाल में मछली फंसी।
ल से लट्टू,व से वन,
जीवन सारा है एक रण।
श से शरीफा,ष से षटकोण,
कौरव पांडव के गुरु थे द्रोण।
स से सपेरा,ह से हरिण,
ठान लो गर तो कुछ न कठिन।
क्ष से क्षत्रिय,त्र से त्रिशूल।
स्कूल जाना कभी मत भूल।
ज्ञ से ज्ञानी,पढ़कर बन जा,
जीवन भर तू गुरु के गुण गा।
सुधीर कुमार किशनगंज बिहार