Site icon पद्यपंकज

विद्या-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

Jainendra

छंद:-मनहरण घनाक्षरी

‘रवि’ सारे छोड़ काम, थोड़ी देर राम – राम,
खाट छोड़ उठ जाएं,
सूरज से पहले।

शक्कर की चाशनी में, वाणी को लपेट कर,
कई बार सोचें हम,
बोलने से पहले।

एक रोटी कम खाएं, द्वेष और गम खाएं,
भरपेट पानी पिएं,
बिस्तर से पहले।

रोग सारे दूर होंगे, नींद भरपूर लेंगे,
भोजन के बाद रोज,
थोड़ी देर टहलें।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version