मनहरण घनाक्षरी कवित्त छंद
अचल सुहाग भाग, ईश्वर आशीष प्राप्त,
पिया जी के साथ रहूँ,यही वर मांगती।
भरे- पूरे रहें सब, मायका व ससुराल,
सजल सुहाग भाग, दिन रैन चाहती।
प्रेम-भक्ति ज्ञान-दान, जीवन वितान जान,
संतति को सदा देती,अमर प्रभावती।
मातृ-पितृ छत्रच्छाया, बड़भागी जन पाते,
चरण शरण “मनु”, गुरु अनुभावती।
स्वरचित:-
मनु कुमारी, प्रखंड शिक्षिका,
मध्य विद्यालय सुरीगांव
बायसी, पूर्णियां, बिहार
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