विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस
प्रकृति का
बदलाव यह
हो स्वस्थ
भाव यह
यह नहीं कोई
रोग है
न मन का कोई
बोझ है
ज्ञान का
आलोक है
स्वच्छता
आधार है
स्वास्थ्य गत
एक यह
सरल सी
बात है
नहीं कुछ ये
और अलग
नहीं कुछ है
अन्यथा
इसे न
बनने दें
कभी भी
मन की व्यथा
चेतना यह
बन सके
प्रगति का
प्रसार हो
परिवेश भी
स्वस्थ हो
संगत विचार हो
विश्व स्वछता दिवस
यही भाव
लाता है
नारी सशक्त हो
संकल्प यह
दुहराता है
-गिरिधर कुमार
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Giridhar Kumar