शब्द भेद की व्यापकता
अक्षर- अक्षर से बनते शब्द ,
मैं उस शब्द के भेद बताने आया हूँ ।
उस भेद में रहते कैसे शब्द ,
जरा मै उसे सिखाने आया हूँ ।
उत्पत्ति के आधार पर प्रथमतः ,
शब्दों के भेद बताता हूँ ।
तत्सम , तद्भव , देशज , विदेशी ,
उनके सौरभ सकल लखाता हूँ ।
आए जो संस्कृत से सीधे शब्द ,
वे तत्सम रूप कहलाते हैं ।
अग्नि और सूर्य आदि को
तत्सम शब्द में गिने जाते हैं ।
ऐसे शब्द तद्भव के होते ,
जो संस्कृत से निकलकर आते हैं ।
पर रूप उनके कुछ बदले हुए ,
यथा सूरज ,आग लखाते हैं ।
तीसरे रूप देशज होते ,
जो देसी भाषा से निकल कर आते हैं ।
लोटा , पगड़ी आदि शब्द अनेक ,
जो देशज रूप बन छाते हैं ।
विदेशी शब्द वैसे जो हिल मिलकर ,
साथ हिंदी में समाते हैं ।
ये हिंदी के प्रतिरूप बनते ,
स्कूल , डॉक्टर शब्द आदि हिंदी में हिल मिल जाते हैं ।
इन चार प्रकार के शब्दों को
उत्पत्ति के अनुसार बताया हूँ ।
ध्यान रखना सदा जरूरी है ,
यह आगे की राह सिखाया हूँ ।
अब बात करें रचना प्रकार से ,
इसमें तीन भेद बताते हैं ।
रूढ़ , यौगिक , योगरूढ़ को
यथा शब्दों के साथ समझाते हैं ।
रूढ़ रचना का प्रथम भेद है ,
जिसे खंडित करने पर न कोई अर्थ मिले ।
यथा हाथ , पानी , दाल आदि का
केवल सीधा सीधा अर्थ खिले ।
यौगिक शब्द वह रचना के प्रकार का ,
जिसे खंडित करने पर भी अर्थ मिले ।
सूर्योदय , पुस्तकालय आदि शब्द भी ,
बिना अर्थ दिए यह कभी न हिले ।
योगरूढ़ वह शब्द है प्यारे ,
जो यौगिक तो है पर रूढ़ रूप बन जाता है ।
यथा पंकज , जलज शब्द ऐसे हैं ,
जो विशेष अर्थ को पाता है ।
इस तरह शब्द के भेद हुए ,
और आगे भी समझाना है ।
हर शब्द की अपनी गरिमा है ,
और आगे भी बहुत बताना है ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

