शिक्षक हूॅं बिहार का, ज्ञान के विस्तार का।
बच्चों का भविष्य मैं, मार्ग हूॅं संसार का।।
अलख जगाता रहता, सबमें सदाचार का।
बच्चों में विचार का, कक्षा नवाचार का।।
प्रतीक हूॅं विचार का, बदलते व्यवहार का।
संरचना समाज का, गुणवत्ता सुधार का।।
शिक्षक हूॅं बिहार का, ज्ञान के विस्तार का।
बच्चों का भविष्य मैं, मार्ग हूॅं संसार का।।
छात्र – हित लीन रहते, विविधता आचार का।
नयी प्रौद्योगिकी से, नवयुग के प्रसार का।।
सीखें और सिखाएं, परंपरा बिहार का।
लाड़ – प्यार लुटा रहें, ममत्व बेशुमार का।।
शिक्षक हूॅं बिहार का, ज्ञान के विस्तार का।
बच्चों का भविष्य मैं, मार्ग हूॅं संसार का।।
नित नवल विधाओं में, स्वप्न के साकार का।
हैं अंकुरित हो रहे, वृक्ष के आकार का।।
है सम्यक रूप गहें, सर्वोत्तम निखार का।
सभी आज कहते हैं, अवसर हम सुधार का।।
शिक्षक हूॅं बिहार का, ज्ञान के विस्तार का।
बच्चों का भविष्य मैं, मार्ग हूॅं संसार का।।
कौशल पर जोर दिए, सूचना संचार का।
मौन वहीं शोर करें, जहॉं गुरु संसार का।।
हूॅं सबकी निगाह में, सौभाग्य सरकार का।
पाठक सदा कर रहा, साधना सुविचार का।।
शिक्षक हूॅं बिहार का, ज्ञान के विस्तार का।
बच्चों का भविष्य मैं, मार्ग हूॅं संसार का।।
रचयिता – राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978

