संस्कृत वह शिक्षण की भाषा
संस्कृत इतनी सरल , सहज भाषा ,
उच्चारण मात्र से देव समक्ष हम पाते हैं ।
खुशियाँ मिलती हैं भर भर कर ,
शोले , अँगारे भी पानी पानी हो जाते हैं ।।
संस्कृत से ही संस्कृति बनती ,
यह सुभग संस्कार दे जाती है ।
संस्कृत वह शिक्षण की भाषा ,
सभी की शिरोमणि कहलाती है ।।
इस भाषा में देव , पितरों का पूजन ,
देव भाषा में संस्कृति भी पलती है ।
सब भाषा की जननी यह ,
यह देवों के मुख से भी निकलती है ।।
है यह भाषा आन बान की ,
जिसमें गीता , पुराण के श्लोक लिखे ।
हर भाषा से यह सर्वोपरि ,
जिसमें वेदों के भी श्लोक दिखे ।।
यह भाषा सहज , सरल, मीठी ,
जुबानों को भी लगती प्यारी है ।
इसमें आगे का पीछे शब्द लिखें ,
कभी अर्थ न बदलता न्यारी है ।।
युग आधुनिक या पौराणिक हो ,
सभी युग में संस्कृत का अध्ययन जरूरी ।
यह मानवता और संस्कृति का उद्घोषक ,
आती है सभ्यता इसमें पूरी ।।
हो जीवन में लक्ष्य सभी के ,
संस्कृत का अध्ययन आवश्यक है ।
हो यदि जीवन को सभ्य , शील बनाना ,
संस्कृत में अध्यापन परमावश्यक है ।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

