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समाधान-कुमकुम कुमारी

समाधान

 

माना कि बहुत है मुश्किलें,
मत कर तू बखान।
कर सको तो कर लो,
इन मुश्किलों को आसान।

कमियों को गिनाना,
होता बहुत आसान।
ढूंढ सको तो ढूंढो,
इन कमियों का निदान।

समस्याएँ अनगिनत हैं,
मत सोच हो परेशान।
सोच सको तो सोचो,
इसका तुम समाधान।

अधिकारों की चर्चा,
करता सारा जहां।
पर कर्तव्यों के पथ से,
क्यों अनभिज्ञ है इंसान।

वैमनस्यता को भुलाकर,
करें हम सबका सम्मान।
नवयुग के निर्माण में,
अपना भी हो योगदान।

ऐ कलम तू उठ जरा,
कर कुछ ऐसा काम।
जन-जन तक पहुँचा दो,
खुशियों का पैगाम।

कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
मध्य विद्यालय बाँक,जमालपुर
मुंगेर, बिहार

 

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