किसान हमारे भगवान
जो रिरियाये गाए
एक कंठ आवाज लगाए
बहरी सत्ता ना सुन पाए।
खाए उनकी दाल-रोटी
उनके सपनों को करके बोटी-बोटी।
एक “सरदार” की आन पड़ी है
उस युग मे जो जान पड़ी थी
है इस युग की मांग।
खण्ड-खण्ड को अखण्ड किये जो
लौह पुरूष वो वीर महान
भारत के वो लाल हमारा
“बारदोली”के सरदार किसान।
एक हाथ मे शस्त्र लिए
दूजे में है शास्त्र
महामानव का हृदय लिए जो
अखण्ड भारत दिए जाय।
अखण्ड भारत….
© विनय विश्वा
शिक्षक सह शोधार्थी
महाबल भृगुनाथ उच्च विद्यालय कोरिगांवा बहेरा
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