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सरस्वती सुता “लता” – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

Jainendra

सरस्वती सुता “लता”

संगीत की दुनिया में बनकर आई बसंत बहार थी।
लता मंगेशकर भारत में सरस्वती मां की अवतार थी।।
गीत गायीं कई भाषाओं में, अमर हो गई इन फिजाओं में,
स्वर कोकिला कहलाईं निखर कर अनेकों प्रतिभाओं में।
अपनी स्वर लहरी से पतझड़ में लाती बसंत बहार थी।।
जब भी छेड़ती थी मधुर राग, बुझ जाती थी दिल में जलती आग,
संगीत के प्रति लगन शीलता अद्भुत था समर्पण और त्याग।
उनकी कोकिल कंठ से गूंजती वीणा की मधुर झंकार थी।।
संगीत के सुरों का संगम आवाज में उनकी जादू था,
कोई भी तरन्नुम को सुनकर श्रोता हो जाता बेकाबू था।
संगीत ही उनका वस्त्र, आभूषण संगीत ही पहला प्यार था।।
बचपन से सरगम की देवी पुरस्कारों की पर्याय थी,
नवागंतुक कलाकारों के साथ करती हमेशा न्याय थी।
सीमा पार के अनेक देशों की जनता उनकी तलबगारर थी।।
सबसे अलग माया नगरी में उनकी अपनी पहचान थी,
जितनी मधुर आवाज थी उनकी,उतनी ही अच्छी इंसान थी।
सारे जहां में भारत माता की गले की सुंदर हार थी।
लता मंगेशकर भारत में सरस्वती मां की अवतार थी।।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि

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