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सुरों की मल्लिका को नमन – विवेक कुमार

Vivek

सुरों की मल्लिका को नमन – विवेक कुमार

सुरों की साज और तेरा काज,
मां शारदे का हाथ और तेरा राज,
समझ न पाएं हम मूढ़ आज,
सहसा दिल पर गिरा गाज,
दिल रो रहा तेरी याद में होकर मगन,
सुरों की मल्लिका को शत-शत नमन।।

स्वर भी जिसका करता गुणगान,
वो कोई और नहीं थी इंसान,
हमारी लता जी थी वो महान,
गायिकी से जिसने बढ़ाया देश का मान,
दिल रो रहा तेरी याद में होकर मगन,
सुरों की मल्लिका को शत-शत नमन।।

कला जगत की तुम थी सिरमौर,
नहीं था तुम्हारा कोई जोर,
लता दीदी तुम थी बेजोड़,
आपके जादू का नहीं था कोई तोड़,
दिल रो रहा तेरी याद में होकर मगन,
सुरों की मल्लिका को शत-शत नमन।।

जिनके गीत से झूमी दुनिया सारी,
तुम लता जी अमिट पहचान हो हमारी,
गाए आपके गीत प्रेरणा देती तुम्हारी,
कोई न कर सकता तुम्हारी बराबरी,
दिल रो रहा तेरी याद में होकर मगन,
सुरों की मल्लिका को शत-शत नमन।।

हमारे दिल की धड़कन हो तुम,
तेरा यूं जाना गम देगा हरदम,
तेरे समर्पण को सजदा करते है हम,
अपूरणीय क्षति से हमारे साथ स्तब्ध है सरगम,
दिल रो रहा तेरी याद में होकर मगन,
सुरों की मल्लिका को शत-शत नमन।।

सच्चे देशभक्त स्वर कोकिला की याद में,
रो रहा पूरा देश आज उनकी विदाई में,
ये मेरे वतन के लोगों नम आंखों में,
याद करो उनकी कुर्बानी,
दिल रो रहा तेरी याद से होकर मगन,
सुरों की मल्लिका को शत-शत नमन।।

विवेक कुमार
( स्व रचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर

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