हादसा (उज्जवला छंद)
जब पग-पग होता हादसा।
मानव पर उभरा दाग-सा।।
हर घर में छाया शोर है।
बस आह-आह पुरजोर है।।
हम कुछ तो कर सकते नहीं।
बस दर्द बाॅंट सकते कहीं।।
दुखते दिल को विश्वास हो।
मानव-मानव में आस हो।।
लौटा नहीं कभी जो चला।
बस सूरज किस्मत का ढला।।
कुछ कर ले उनके नाम से।
आना-जाना कर काम से।।
सब कहते दुनिया गोल है।
“मैं ही हूॅं”झूठा बोल है।।
गाड़ी चलती है और से।
देखा जगत नहीं गौर से।।
पायलेट केवल नाम है।
होता केवल बदनाम है।।
करने वाला है और भी।
नास्तिकता का है दौर भी।।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दर्वेभदौर
प्रखंड पंडारक पटना बिहार
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