Site icon पद्यपंकज

हिंदी का सम्मान – संजय कुमार सिंह

Sanjay kr Singh

हिंदी का सम्मान कहां है,राष्ट्र का अभिमान कहां है।
सिमटी हैअस्तित्व बचाने,ऐसा भी सौभाग्य कहां है।।
घर की मुर्गी दाल बराबर,आन गांव का सिद्ध यहां है।
अंग्रेजी बन बैठी रानी, हिंदी का स्थान कहां है ।।
शिक्षा का घर द्वार अंग्रेजी, जीने का व्यवहार अंग्रेजी।
सुर संगम तो हिंदी में है, औरों में रसधार कहां है।।
भारत का अभिमान है हिंदी, वीरों का गुमान है हिंदी।
हिंदी , बिंदी भाषाओं की, हिंदी बिन श्रृंगार कहां है।।
कामकाज की भाषा हिंदी, ज्ञान का मूलाधार है हिंदी।
दिल है हिंदुस्तानी फिर भी, धड़कन में झंकार कहां है।
भारत बना था इंडिया, इंडिया जब हिंदुस्तान बना।
हिंदी का संकल्प यही था, असली हिंदुस्तान कहां है।।

संजय कुमार सिंह, प्र. अ.,
आदर्श मध्य विद्यालय पनसलवा

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version