हिंदी हमारी है।
हिंदी हमारी भाषा है,हिंदी से प्यार करना हमे आता है।
हिंदी भारत माता की बिंदी,हिंदी से अपना पुराना नाता है।
बिन बिंदी स्त्री का चेहरा सुना,बिंदी से श्रृंगार पूरा हो जाता है।
भारत माता की बिंदी हिंदी भाषा ही कहलाता है।
हिंदी से पहचान हमारी,हिंदी जैसी समृद्ध भाषा और कही कहां कोई पाता है।
हर दिन एक हिंदुस्तानी हिंदी भाषा में अनंत डुबकी लगाता है।
यह सागर है हर भाषा की,हर भाषा इसके लहरों से शिक्षा पाता है।
इसलिए विश्व की सबसे उन्नत और समृद्ध भाषा हिंदी ही कहलाता है।
बचपन से हिंदी की गोद में,खेल -खेल कर बड़ा जब कोई हो जाता है।
अपनी भाषा छोड़ कर जब अंग्रेजी को अपनाता है।
तब अपनी हिंदी माता का दर्द कोई समझ नही पाता है।
हिंदी को गले लगा कर रखना है,हिंदी सभी भाषा की माता है।
जागो,समझो, महत्व को जाने,आगे बढ़ कर हिंदी का हम सब उद्धार करे।
हिंदी को अपनाकर हम सब हिंदी का सम्मान करे।
स्वरचित कविता
धीरज कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिलौटा
प्रखंड भभुआ (कैमूर)
धीरज कुमार