हिंदी है भारत की वाणी,
इससे है पहचान पुरानी।
गूँजे इसके मीठे बोल,
सजे इसमें भाव सुहानी॥
हिंदी से नाता जोड़ा,
हर मन में प्रेम उभारा॥
माँ ने इससे बात बनाई,
बचपन ने इसमें ही गाई।
इसकी लोरी, इसकी गाथा,
रग-रग में रसधार समाई॥
हिंदी से नाता जोड़ा,
हर मन में प्रेम उभारा॥
मीरा-सूर-कबीर की बोली,
रसखान की कविता डोली।
तुलसी की चौपाई गूँजी,
गांधी ने जिसकी भाषा बोली॥
हिंदी से नाता जोड़ा,
हर मन में प्रेम उभारा॥
अपनी भाषा अपनाएँ हम,
विश्व पटल पर छाएँ हम।
हिंदी की महिमा गाएँ हम,
सम्मान इसे दिलाएँ हम॥
हिंदी से नाता जोड़ा,
हर मन में प्रेम उभारा॥
जय हिंदी, जय भारत!
सुरेश कुमार गौरव,
प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर,
फतुहा, पटना (बिहार)
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