हे महादेव, त्रिकालदर्शी,
शंभूनाथ महेश्वर ।
सुमिरन करे, करें ध्यान तेरा
दिन रात और चारों पहर ।
हे अर्धचंद्र के मुकुटधारी ,
नाग का कंठहार धारण किया।
डमरू त्रिशूल हाथों में शोभित,
गंगा को जटा में समा लिया।
हे पार्वती पति, शक्ति के शिव ,
हे गौरीशंकर, भोलेनाथ ।
तेरी कृपा से,विष हो अमृत,
सदा रहे तेरा ,मेरे सिर पर हाथ ।।
हे महाकाल, नटराज, शंभू
सदाशिव, गिरिश्वर ।
सुमिरन करे, करें ध्यान तेरा,
दिन रात और चारों पहर । ।
अंजली कुमारी
रामबाग चौरी, मुजफ्फरपुर, बिहार।
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