क्या ये ही होली है ?
मितवन ये बतला तू जरा,
कि , क्या ये ही होली है ?
गेहूँ की बलियाँ झूम झूम,
हवा के संग जब नाचे लगी,
चना की फलियाँ सोनहाई लगी
मंजर आम मौराई लगी ,
और फलियन आँख नजराई लगी ,
फिर जायद फसल फूल आई गई,
किसानन चेहरन मुस्काई लगी,
फिर बैठ किसानन द्वार सब आपन,
करि लागै तैयारी,
ये ही सबन के देख के मितवन,
लागय होली आई गई।
मितवन ये बतला तू जरा,
कि ये ही, सब क्या होली है ?
जब सेमल, पलास, गुलमोहर फूल से,
जंगल में आग जब लगे लागय,
कोयल भबरण संग मिल-मिल के,
मधुर गान सुनाबे लागय,
सूरज के ताप दिन चढ़े लागय,
और हवा बसंती मोहे लागय,
फिर होंठ-होंठ चुप्पी साधय,
और, अखियन बाती करे लागय
फिर प्यार का रंग जब चढ़ी गयो तो
समझो ये ही होली है।
संजय
जिला शिक्षा पदाधिकारी
अररिया।
सभी को मेरा प्यार
भरा होली।
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