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तिरंगा-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

तिरंगा

वीरों की है शान तिरंगा,
भारत की पहचान तिरंगा।
जल में, थल में, नील गगन में,
दुनिया कीआबाद चमन में।
सदा शान से लहराता है,
भारत का अभिमान तिरंगा।
वीरों में यह जोश जगाता,
गर्व से सीना ऊंचा करवाता।
हंसते-हंसते हो जाते हैं,
वीर तुझ पे कुर्बान तिरंगा।
मध्य भाग में चक्र की धारियां,
हरा, सफेद और रंग केसरिया।
भारत की गाता गौरव गाथा,
बढ़ाता है सम्मान तिरंगा।
हिमालय की चोटी को चूमा,
मंगल ग्रह, चंद्रमा पर घूमा।
परमाणु क्षमता हासिल करके,
दुनिया का खींचा ध्यान तिरंगा।
भगत, सुभाष, और वीर शिवाजी,
लक्ष्मी बाई की अमर जांबाज़ी।
इन्दिरा ने अपने खून से लिख दी,
गांधी का अरमान तिरंगा।
पराये भूमि की चाह नहीं है,
बारूद”अमन’की राह नहीं है।
सरहद पर जो आंख दिखाता,
मिटाता नामोनिशान तिरंगा।
हिन्दू-मुस्लिम, सिख्ख-ईसाई,
पाटते हैं आपस की खाई।
भाषा, मजहब का भेद है फिर भी,
है भारत का स्वाभिमान तिरंगा।
वीरों की है शान तिरंगा,
भारत की पहचान तिरंगा।

जैनेन्द्र प्रसाद “रवि’
म. वि. बख्तियारपुर,
(पटना)

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