सिर घुँघराले लट, तन पीतांबर पट, बहुत है नटखट, साँवरा साँवरिया। मंत्र मुक्त होता कवि, जाता बलिहारी रवि, मन को लुभाती छवि, होंठों पे बाँसुरिया। जाता पनघट पर, ग्वाल-बाल मिलकर,…
Category: Bhakti
For the attainment of God in the world, for the welfare of the person, one has to do spiritual practice for salvation. For this, Bhakti is the best. Therefore, devotion to God and having prayer and meditation is called Bhakti.
वन गमन – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति
वन गमन (तंत्री छंद) जनक दुलारी, हे सुकुमारी, कैसे तुम,वन को जाओगी। पंथ कटीले,अहि जहरीले, कैसे तुम,रैन बिताओगी।। सुन प्रिय सीते, हे मनमीते, आप वहाँ,रह ना पाओगी। विटप सघन है,दुलभ…
प्रभु की महानता – जैनेंद्र प्रसाद रवि
पहाड़ों में हरियाली, मेहंदी फूलों में लाली, कलियों में सुगंध है प्रभु की महानता। चीनी की मिठास में हैं,भोजन व प्यास में हैं, जिसने भी स्वाद चखा,वह उन्हें मानता। तिनका…
वट सावित्री – एस.के.पूनम
त्याग की मूर्ति है नारी, खुशियाँ देती हैं सारी, दिलाती है पहचान,सब कुछ त्याग कर। मायका को छोड़ आती तन,मन,धन,लाती, गागर भरती रही,हृदय में प्रीत भर। जीवन में संग तेरे,…
हनुमान जी का पराक्रम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
🌹प्रभाती पुष्प🌹 हनुमान जी का पराक्रम छंद:- जलहरण घनाक्षरी राम जी का कहा मान, बचाया लखन प्राण, तुरत ही धौला गिरी, उठा लिया करतल। लंकापति रावण ने, अवरूद्ध किया रास्ता,…
राम नवमी- दीपा वर्मा
कृष्ण जन्म को कृष्णाष्टमी कहते हैं, राम के जन्म दिन को रामनवमी कहते हैं। दोनों ही भगवान हैं, दोनों ही एक हैं। रामनवमी मना रहे हम सारे सब की जुबां…
कट जाता बंधन- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
जलहरण घनाक्षरी छंद एक साथ चारों भाई पालने में झूल रहे, देख मनोहारी छवि, पाया दुनिया का धन। ऐसे रघुवर पर दिल बलिहारी जाए, राजीव नयन पर, है तन-मन अर्पण।…
किस विधि लूं तेरी थाह प्रिय – मनु रमण चेतना
दिल में है सच्चा प्यार मगर , करते क्यों ना इकरार प्रिय। बस सुनने को व्याकुल है मन, क्यों करते हो इनकार प्रिय। तेरी चाहत और अनंत प्रेम का किस…
राम का अर्थ मानो रामराज्य- सुरेश कुमार गौरव
हिन्दी मास चैत्र नवमी को, प्रभु श्रीराम ने लिया अवतार पूरी अयोध्या नगरी में, तब छाई खुशियां उल्लास अपार। शुभ अवसर है प्रभु श्रीराम का, सब मिलकर नमन करें पूरी…
अनजान- रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
सुबह सबेरे अनजान मुक्तक-मात्राभार-5-15 सभ्यता के परम शिखर पर, गुंजित संचित है एक नाम, हे प्रभु चैतन्य परमात्मा, आदर्श पर्याय तू राम। भवदीय लकीर खींची जो, सभ्यता पूर्ण समाज की..,…