Site icon पद्यपंकज

सरस्वती वंदना-रूचिका

Ruchika

सरस्वती वंदना

श्वेतवसना पद्यमासना तू ज्ञान का विस्तार दे,
अज्ञानता का तिमिर गहरा तू सदा उबार दे।

अभिमान मन में न कोई आये,
पार कर लूँ मैं जीवन बाधाएं,
मेरी लेखनी को सशक्त कर,
इससे ही हर मुश्किल मिटायें।

हंसासिनी कमलासिनी तू मुझपर कृपा अपार दें
छल द्वेष दम्भ से दूर रहुँ ऐसे मुझको तार दे।

क्लेश मन में न कोई आये,
विकार मन की सदा मिटाये,
मेरे कंठ में मधुर स्वर भर,
नव सृजन कर गीत गाये।

वीणापाणि शारदे भवानी मेरी साधना सफल कर,
जो लक्ष्य न हो सदमार्ग का उससे तू विफल कर।

जोश मन में नव भरो,
सकल मनोरथ सिद्ध करो,
नई चेतना तू दे मुझे,
हस्त मेरे तुम शीश धरो।

हे मात तू कुछ इस तरह मुझको कृतार्थ कर,
मूढ़ता को माफ कर,ज्ञान का प्रसार कर।

रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ,
सिवान बिहार

Spread the love
Exit mobile version