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मिट्टी से शीशे का सफर – कंचन प्रभा

Kanchan

आज युग कितना बदल गया है

दीये की लौ बल्ब बन गई

कभी हम पढ़ते थे लालटेन में

लालटेन की लौ कल बन गई

तरह तरह के बल्ब

अब मिलने लगे बाजार में

लाखों बल्ब जल सकते

आज कही भी एक बार में

रंग बिरंगी रौशनी से

आज नहाई शहर शहर

घर में जले, जले दुकान में

जगमग होए डगर डगर

दीपावली में भी

अब नजर यही आता है

लोगों को दीपों की जगह

अब यही मन भाता है

बिजली की खूबसूरती

होती है बल्बों से

कभी नृत्य बल्बों का

देखो मंच के जलवों से

धन्यवाद थॉमस ऐडिसन का

आविष्कार किया था जिसने

दुनिया को प्रकाश पहुँचा कर

बड़ा उपकार किया था जिसने।
कंचन प्रभा
विद्यालय-रा0 मध्य विद्यालय गौसाघाट दरभंगा

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