विवेकानंद आज हैं, किए जा रहे याद। हम मनाएँ जन्म दिवस, करते यह फरियाद।। युवा राष्ट्र के बोलिए, रहें न किंचित मौन। बन जाए फिर विश्व गुरु, भार उठाए…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
राष्ट्रधर्म निभाती हिन्दी – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या”
हिंदी! संस्कृत की जाई, देवनागरी लिखाई, स्वर व्यंजन वर्ण, सब से बन है पाई। हिंदी ! सुपाठ्य और सुलेख्य, कुछ भी नहीं अतिरेक। जैसी दिखती, वैसी होती, बोलना लिखना सब…
हिन्दी हमारी शान है- सुरेश कुमार गौरव
हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी है पहचान, संस्कृति का अभिमान, हिन्दी का गान। मिट्टी की खुशबू में रचती यह दमक, हिन्दी है भारत की अद्भुत चमक। शब्दों का यह…
दुश्मनी कभी न पालिए- अमरनाथ त्रिवेदी
अगर दोस्त किसी के बन न सके, तो दुश्मनी भी किसी से न पालिए। ईर्ष्या, द्वेष, घृणा की आग में, कभी जीवन को न गुजारिए। जलाती पहले ईर्ष्या खुद…
वीरता की गाथा व संदेश – सुरेश कुमार गौरव
शस्त्रों की शान, देश धर्म की पहचान, हर युग में जिनसे गौरव पाता इंसान। वीर सपूत गुरु गोविंद, महान अधिनायक, सच्चाई का दीप जलाने वाले गुरुनायक। पिता ने शीश…
दोहावली- रामकिशोर पाठक
किसके मन में क्या यहॉं, जान सका कब कोय। कोई दुख से रो रहा, कोई सुख में रोय।। उलझन का हल ढूँढिए, बड़े धैर्य के साथ। औरों से मत…
कुछ नवीन सृजन करो- कुमकुम कुमारी
त्यागकर व्यग्रता को अब तुम, मनन करना शुरु करो। कठिन परीक्षा अभी बहुत है, मन को तुम धीर करो। खोल कर ईक्षण को अपने, स्वयं के दर्शन करो। दिए…
सत्य-पथ के जीवन रचयिता – सुरेश कुमार गौरव
शिक्षक कहलाते ज्ञान रचयिता अनुशासन के होते नियम संहिता। कहलाते हर प्रश्नों के हलकर्ता, सत्य-असत्य के निर्णयकर्ता। जीवन में जो ज्ञानदीप जलाते, हर अंधियारे को शीघ्र मिटाते। सुसंस्कारों की…
अनमोल जीवन – डॉ स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
क्या हुआ जो सिंह गर्जन कर रहे अंजान पथ में, क्या हुआ जो शूल अग्नि की दहक है नव सृजन में। है यही अनमोल जीवन और सृजन हार तुम…
अग्निपथ के राही- अमरनाथ त्रिवेदी
न बची किसी की जान यहाँ, और नहीं सर्वदा शान रही। जो भी आया इस दुनिया में, केवल कर्म ही उसकी पहचान रही।। न रहे अवधपति श्रीराम …