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कृपाण घनाक्षरी – एस.के.पूनम

S K punam

कवियों की गोष्ठी आज,
साध कर सुर साज,
खोल देते सारे राज,कवित्त करे झंकार ।

शब्द जोड़-तोड़ लिखा,
कविता पढ़ना सीखा,
जहाँ-जहाँ मुझे दिखा,कहाँ श्रम से इंकार ।

करके वाचन जाना,
नहीं तो मिलेगा ताना,
नहीं चलेगा बहाना,मिलेगा तुम्हें सत्कार।

कवि श्रेष्ठ तुझे खोया,
बैठ कर तब रोया,
अभी तक नहीं सोया,मन करे है चित्कार।

एस.के.पूनम

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