स्वर्ग नर्क कहीं और नहीं- नीतू रानी

स्वर्ग नरक कहीं और नहीं है इसी पृथ्वी पर सब, बैठके थोड़ा सोचिए जब समय मिलता है तब। इसी पृथ्वी पर जन्म लिए ऋषि मुनि‌और संत। राम, कृष्ण, माँ पार्वती…

है बेबस धरती – एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी बहती है कलकल, सोचती है हरपल, सूखे नहीं नीर कभी,यही दुआ करती। तट पर आशियाना, साधु-संतों का ठिकाना, होता यशोगान हरि,वेदना को हरती । गर्भ में जहान पले,…

अदृश्य सत्ता- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद अखिल ब्रह्मांड बीच, कोई तो है सार्वभौम, जिसके इशारे बिना, पत्ता नहीं हिलता। धरती खनिज देती, सीप बीच मिले मोती, कोमल सुन्दर फूल, काँटों बीच खिलता। चैन…

मेघा रे- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

आ जाओ रे मेघ, इतना मत न इतराओ। उजड़ रहा खलिहान,थोड़ा नीर बरसाओ।। हैं बहुत परेशान,तप रही धरा हमारी। कृपा करो भगवान,हरी भरी रहे क्यारी।। पशु-पाखी बेचैन,सूखे कंठ तड़प रहें।।…

मधुमास की घड़ी – एस.के.पूनम

काली कच लहराई, विन्यास निखर आई, हाथों में मेंहदी लगे,प्रतीक्षा में थी खड़ी। सोलह श्रृंगार कर, वरमाला डाल कर, साक्षी बने दीया-बाती,चरणों में थी पड़ी। सवार थे अश्व पर, धरा…