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मेरी बिटिया-मनु कुमारी

Manu

मेरी बिटिया

बिटिया मेरी अब पलटने लगी है,
सभी के दिलों में उतरने लगी है।

पलटना भी है एक विकासात्मक प्रक्रिया,
ये बदलाव उसमें अब आने लगी है,
बिटिया मेरी अब पलटने लगी है।

आवाज सुनकर नजर वो उठाए,
कोई डाँट दे तो पलक वह झुकाए,
कि अंजाने को देख रोने लगी है,
बिटिया मेरी अब पलटने लगी है।

मैं लोरी सुनाती हूँ वह सुनती खुशी से,
कभी कुछ भी पूछो तो बताती हँसी से,
कि संग-संग अब हुंकार भरने लगी है,
बिटिया मेरी अब पलटने लगी है।

हंसी इसकी खुशियों की मोती बिखेरे,
माथे में इसके हैं गेसु घनेरे,
कि रोकर गमों को बताने लगी है,
बिटिया मेरी अब पलटने लगी है।

महज चार महीने की है नन्ही प्यारी,
उसकी आँखों में है दुनिया हमारी,
कि दुनिया मेरी रंगीन होने लगी है,
बिटिया मेरी अब पलटने लगी हर है।

रहे स्वस्थ हरदम है बस मेरी चाहत,
देखकर उसकी मूरत खुश होते हालत,
कि बिगड़ी हालत मेरी अब सुधरने लगी है,
बिटिया मेरी अब पलटने लगी है।

स्वरचित:-
मनु कुमारी
मध्य विद्यालय सुरीगांव
बायसी पूर्णियाँ बिहार 

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