खुशियों की तलाश में- मीरा सिंह “मीरा”

न‌ए साल की नयी सुबह न‌ए सपने आंखों में सजाए नयी उम्मीदों की अंगुली थामे आंख मिचते आज पूरा पटना सड़कों पर नजर आया सड़कों पर जनसैलाब गजब उमड़ा था…

बसंत बहार- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

घनाक्षरी छंद में (१) बागों में बहार आई, मन में उमंग छाई , भांति-भांति फूल देख, छूटे फुलझड़ियां। जहां भी नज़र जाए, सुन्दर सुमन भाए, दूर-दूर तक लगी, पुष्पों की…

मामा चले ससुराल -मीरा सिंह “मीरा”

बंदर मामा चले ससुराल पहनकर सिर पर टोपी लाल। है उनके साले की शादी मामा पहने कुरता खादी।। साथ चली उनकी बंदरिया सिरपर ओढे लाल चुनरिया। ठुमक ठुमक के पांव…

बैगलेस सुरक्षित शनिवार -प्रीति कुमारी

हम सबों का सपना हो रहा साकार, ढेरों खुशियां लेकर आया, बैगलेस सुरक्षित शनिवार । नाचेंगे गाएंगे,खेलेंगे कुदेंगे, मस्ती करेंगे दिन- भर, खेल खेल में शिक्षा पाकर आगे बढेंगे हर…

बैग लेश शनिवार -मीरा सिंह “मीरा”

आया आया आया बैग लेश शनिवार। खुश हैं सारे बच्चे पाकर खुशियां अपार।। खेल खेल में सीखें हम बच्चे नवाचार। सोनू मोनू रजिया हो जाओ सब तैयार।। खुशियां लाया हजार…

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