Site icon पद्यपंकज

आओ बचाएं पानी-संगीता कुमारी सिंह

आओ बचाएं पानी

मैं हूंँ तुम्हारी बूढ़ी नानी,
आओ सुनाऊं तुम्हें कहानी,
मेरी कहानी में है पानी,
पानी जीवन का आधार,
इसके बिना सूना संसार।

ठोस, द्रव और गैस रूप में,
बर्फ, जल और भाप है पानी
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से,

मिजुलकर बनता है पानी,
बना नहींं सकते पर,
बचा तो सकते हैं हम पानी।

जीवन का अस्तित्व न होता,
पृथ्वी पर अगर न होता पानी,
इकहत्तर प्रतिशत भाग धरती का,
है बस पानी ही पानी,
मोल नहीं होता पानी का,
अनमोल होता है पानी।

गंधहीन, स्वादहीन, रंगहीन, होता है पानी,
पर नीला-नीला दिखता है,

महासागर का खारा पानी,

नदी, तालाब, झील, भूमिगत जल,

हिमनद, बादल में मीठा पानी,
जल प्रदूषित नहीं करें हम,
शुद्ध, स्वच्छ, बनाएं पानी।

पृथ्वी पर उपलब्ध जल का,
सनतानवे प्रतिशत खारा पानी,
तीन प्रतिशत ही मिलता है,
पीने के उपयोग का पानी,
बूंद-बूंद से सागर भरता,
बूंद-बूंद बचाएं पानी।

जल से ही तो हमारा कल है,
जल संकट है जीवन संकट,
जल संरक्षण करें हम सभी,
व्यर्थ नहीं बहाएं पानी,
संचय करें बचाएं पानी।।।

संगीता कुमारी सिंह
शिक्षिका भागलपुर

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version