आओ मिलकर नववर्ष मनाएं
आर्यावर्त के पावन भूमि पर
सद्भावना का अलख जगायें,
अंधविश्वासों का तिमिर मिटे
ज्ञान का हम ज्योति जलायें,
आओ मिलकर नववर्ष मनाएं।
गिले-शिकवे को भूलकर हम
बन साहसी सत्य पथ अपनायें,
खुशियाँ उपजे सबके जीवन में
समरसता का गीत गुनगुनाएँ,
आओ मिलकर नववर्ष मनाएं।a
नभ में चह-चह चहके खेचर
वनप्रिया मधुर स्वर में गाये,
अविरत बहे प्रवाहिनी-त्रिपथगा
प्रकृति की सुन्दरता मन को भाए,
आओ मिलकर नववर्ष मनाएं।
माता-पिता के सपने हो पूरे
मेहनत ऐसा हम कर जाए,
उम्मीदों की नई किरणें संग
नववर्ष में नया इतिहास बनायें,
आओ मिलकर नववर्ष मनाएं।
कामयाबी चूमे तेरे कदम हमेशा
पिछले सारे गम भूल जायें,
सतत प्रयास और लगन से हीं
हम अपना हर कदम बढ़ाएं,
आओ मिलकर नववर्ष मनाएं।
रचनाकार
नरेश कुमार ‘निराला’
प्राथमिक विद्यालय केवला
अंचल- छातापुर (सुपौल)
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