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अंतर-अवनीश कुमार

अंतर

कुछ कर दिखा इस जमाने में
बता दे दुनियाँ को
नहीं है मानव-मानव में अंतर
आज दिख रहा जो जमाने मे अंतर

ये अंतर न रहेंगे निरंतर
ये अंतर न रहेंगे निरंतर

है सूक्ष्म अंतर बाहर से
लेकिन मानव की काया में न है कोई अंतर
है ईश्वर ने बनाया तुझे
दया, त्याग, करुणा की मूरत
चकाचौंध की इस दुनियाँ में बदल डाली अपनी सूरत
एक सूरत के पीछे न जाने कितने छिपा रखे है तूने रावण और दुःशासन
करेगा कर्म सही दिशा में यदि तू निरंतर
मिट जाएगा दिख रहा ये सूक्ष्म अंतर

एक बार फिर से तू बतला दे जगत को
दिख रहा भले अंतर बाहर से
लेकिन तेरी सृष्टि के इस खिलौने की काया में नहीं रहेगा कोई अंतर
ये अंतर न रहेंगे निरंतर
ये अंतर न रहेंगे निरंतर।।

शब्द रचना एवं स्वर :-
अवनीश कुमार
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
प्रखंड पकड़ीदयाल
जिला पूर्वी चंपारण ( मोतिहारी)

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