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एक सांस में जलता जीवन -अवधेश कुमार

एक सांस में जलता जीवन
(नशा मुक्ति पर कविता)

नशा नहीं है किसी समाधान,
ये लाता केवल दुख का जहान।

गांजा, सिगरेट, स्मैक, सुलेशन,
युवा में बढ़ता सूखे नशे का चयन।

छूटी किताबें, छूटी राह,
टूटे सपनों की हर चाह।

माता-पिता की बुझ गई आस,
नशे ने छीना जीवन का प्रकाश।

धुएं में तन-मन मिट जाता,
एक सांस में जीवन जल जाता।

चेतन हर लेता यह मायाजाल,
नशा में हो जाते फटेहाल।

युवा मन खोये रंग हजार,
भूल गया जीवन का उपहार।

माता-पिता की रहती नम आँखें,
नशे से बढ़ती उनकी पीड़ा लाखें।

जब छात्र इस जाल में फँस जाते,
पढ़ाई-लिखाई सब भूल जाते।

व्याकुलता, बेचैनी, हड़बड़ाहट,
हर दिन लाती चेहरे पर नई गर्माहट ।

आत्मविश्वास चला जाता,
भविष्य का दीप बुझ जाता।

परिवार का भी खोता साथ,
नशा बनता जीवन का त्रास।

छोड़ो नशे की ये जंजीर,
अपनाओ नई तक़दीर।

सपनों को दो नई उड़ान,
नशामुक्त हो और बनो महान।

प्रस्तुति: अवधेश कुमार
विद्यालय: उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर, मरौना, सुपौल

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