बाबा
बचपन मे फिर लौटा दो ना
बाबा,
अपनी पुरानी साइकिल पर फिर से बैठा दो ना बाबा,
मेरी हर जिद को सर आँखों में फिर से बिठला दो ना बाबा,
जीवन के इस भूल भुलैये में
सच्ची राह दिखला दो ना
बाबा,
इस दुनिया से जाने वाले रास्ते से भटक कर
फिर से वापस आ जाओ ना बाबा,
यादों की अनंत कहानियां
दोहरा दो ना फिर से बाबा,
छूट गए जो ख्वाब तुम्हारें,
उनकी आश फिर से जगा दो ना बाबा,
गंतव्य स्थल पर जाकर,
फिर से वापस आ जाओ ना बाबा,
नहीं भर सकीं
वो रिक्तता किसी अलंकरण से,
हो सके तो फिर से वापस
आ जाओ ना बाबा।
प्रियंका दुबे
मध्य विद्यालय फरदा, जमालपुर
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