Site icon पद्यपंकज

भजन-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

Jainendra

भजन

तोहर माथे में मुकुट गले हार सोहे ली,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ली।
कर में कंगन सोहे भाल सोहे बिंदिया,
असुरों के देख तोहे आवे नहीं निंदिया।
तोहर अंग-अंग सोलहो सिंगार सोहे ली,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ली।।
जहां-जहां देखूं तोहर सुंदर रे मूरतिया,
श्रद्धा, धूप-दीप से उतारूं रे आरतिया।
शेरावाली मैया शेर पर सवार सोहे ली,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ली।।
हमरा पर दिखाबs माई आपन पिरितिया,
एक बार दिखादs अप्पन मोहनी मुरतिया।
तोहर छवि सबके मन बार-बार मोहे ली,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ली।।
जब-जब आवे माई तोहर शुभ दिनमा,
तब रम जाई हम्मर मन तोर चरणमा।
पापी पुत्र खातिर दिल में दुलार सोहे ली।
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ली।।
जे भी सच्चे मन से आवे मैया के शरणिया,
अक्षत, चंदन, फूल चढ़ाबे तोर चरणिया।
ओकर जीवन में नया चमत्कार होबे ली,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ली।।
तोहर माथे में मुकुट गले हार सोहे ली,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ली।।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि
पटना, बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version