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बुद्ध के आदर्श-अश्मजा प्रियदर्शिनी

बुद्ध के आदर्श

बुद्ध के आदशों को मिली दिशाएँ।
मंद कंचन सुमधुर बहती शीतल हवाएँ।
राजा शुद्धोधन के घर में जन्मा पुत्र महान।
इच्छवाकु वंश के, लुम्बिनी की खिली फिजाएँ।
माता महामाया, पत्नी यशोधरा, पुत्र पाया राहुल।
जिन्हें सोता छोड़ गए, सन्यासी बन गए बाबुल।
हाँ यशोधरा के जीवन की कई जफाएँ।
शायद वो पा न सकी प्रीत की वफाएँ।
पारिवारिक जीवन की हमने सुनी कई गाथाएँ।
बचपन में जिसे सुनाती हमारी गुणी माताएँ।
वीर महापुरुष संग वीरांगनाओं की कथाएँ।
रामायण, महाभारत संग वेद की ऋचाएँ।
सीताराम, कृष्ण संग बुद्ध की मीमांसाएँ।
भीक्षाटन कर जीवन में सही कई जटिलताएँ।
नृप पुत्र होकर भी त्याग दी सुख- सुविधाएँ।
ज्ञान के शीर्ष पर लक्षित थी कई कल्पनाएँ।
तप से मिली जीवन को अवधारणाएँ।
बोधिसत्व की मिली ज्ञान की विविधताएँ।
सत्य, अहिंसा, त्याग, धर्म को मिली दिशाएँ।
बदली जण-गण की भ्रमित भावनाएँ।
सारनाथ के सारगर्भित उपदेश सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दृष्टि, बुद्ध के सम्यक् उपदेशात्मक कथन को अपनाएँ।
वैराग्य-विहान के अनुगामी सम्यक् महापरिनिर्वाण की सम्प्रदाएँ।
त्रिपिटक ग्रन्थों का सार विश्व में लहराएँ।
बुद्धं शरणम गच्छामि।धर्मंम शरणम गच्छामि। संघं शरणम गच्छामि की देदीप्यमान मिशाल अपनाएँ।
सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीव
सम्यक् बुद्ध स्मृति का आवर्ण सम्यक् व्यायाम, सम्यक् बुद्ध समाधि।
प्रभु शरणम ही वास्तविक जीवन की उपाधि।
व्यर्थ सांसारिक जीवन, व्यर्थ सारी कामनाएँ।
बुद्ध ने बाँधी जीवन में ब्रह्मचर्य की सीमाएँ।
बुद्ध के कीर्तिमान की क्या करू मै बखान।
कई आदर्श है अनेक है अवधारणाएँ।
जन्म से मृत्यु तक अन्त है श्मशान।
जीवन क्षमा सच्चाई है ये ब्रह्म ज्ञान।
जीवन संघर्षों में कितने सहे व्यवधान।
अपने सत्कर्म से बुद्ध बने भगवान।
अंगुलीमाल संग किया जगत का कलयाण।
ऐसे आदर्श चरित्र को शुद्ध- भाव से अपनाएँ।

अस्श्मजा प्रियदर्शिनी
पटना, बिहार

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