चंदा मामा
चंदा मामा प्यारे हो
मेरे मन को भाते हो
रंग बिरंगे सपने लेकर
रोज रात में आते हो।
कभी होते हो पूरे गोल
कभी गायब हो जाते हो
क्यों रहते हो इतने दूर
गैरों के जैसा मजबूर।
मेरे घर आ जाओ ना
संग शीतलता लाओ ना
अपने निर्मल रश्मि में
हमें भी नहलाओ ना।
मंद मंद मुस्काते हो
पास क्यों नहीं आते हो
अब तुझसे मैं रूठ जाऊंगी
न मामा कहके बुलाऊंगी।
बबीता चौरसिया
शिक्षिका
मधुबनी बिहार
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