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चंदा मामा-मधु कुमारी

चंदा मामा

देखो बच्चों निकला
आसमां में चंदा मामा
लगता देखो कितना प्यारा

देती अपनी शीतल छाया
तारों का वो राज दुलारा
रौशन करता जग सारा

चंदा मामा, चंदा मामा
कितना अद्भुत, कितना निराला
प्यारा-सा ये रूप तुम्हारा

टिम-टिमाते तारों के बीच
चमके श्वेत उज्ज्वल-सा साया

चंदा मामा, चंदा मामा
देखो मामा आओ न
यूं हमको अब सताओ न

देख तेरी ये भोली सूरत
मन मेरा भी है ललचाता

चंदा मामा, चंदा मामा
न तुम आते, न मुझे ले जाते
बस मिलने को हो तरसाते
क्या मन तेरा भी है घबराता

चंदा मामा,चंदा मामा
देखो अब मैं भी रूठूंगा
कट्टी-बट्टी भी कर लूंगा

न तुमसे फिर बोलूंगा
भेद न कोई तुमसे मामा
  हरगिज मैं खोलूंगा

चंदा मामा, चंदा मामा
दूध, माखन, मिश्री, मलाई
मैं सारा-का-सारा खा जाऊंगा

देखो मामा, दिखा दिखाकर
मैं भी तुमको ललचाऊंगा।
चंदा मामा, चंदा मामा।

                      
मधु कुमारी
कटिहार

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