Site icon पद्यपंकज

चूहा जब गया मेला-कुमारी अनु साह

चूहा जब गया मेला

एक चूहा बडा ही अलबेला
घूमने जा रहा था मेला
चुहिया से बोला वही सूट बूट निकाल दो
जिसे सेठ के घर से लाया था
वो टोपी, छडी भी देना
जो बंदर ने भेजवाया था
मैं जा रहा हूँ मेला
दे दो मुझे एक थैला। 
तुम भी बाहर मत जाना
कुंडी लगाकर सो जाना
बाहर बिल्ली घूम रही है
भोजन अपना ढूंढ रही है। 
सारी बातें चुहिया को समझाकर
चूहा निकला बिल से बाहर
उसने इधर उधर नजर दौडाई
पर बिल्ली नजर नहीं आई। 
चूहा चला फिर अकडकर
छडी को हाथ मे पकडकर
तभी रास्ते में उसे बिल्ली दी दिखाई
चूहे ने घर की तरफ दौड लगाई। 
गिर गई टोपी छूट गई छडी
चूहे पर आई आफत बडी
घर पहुँच कर ली उसने साँस
और बोला बाल-बाल बच गए आज। 

कुमारी अनु साह
प्रा. वि.आदिवासी टोला भीमपुर 

छातापुर, सुपौल

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version