दोस्त हमारा इंटरनेट
इंटरनेट का है ये जमाना
इंटरनेट ही दोस्त हमारा
इंटरनेट की गलियारों में
अब होता है सैर हमारा
इंटरनेट से ही जुड़ा हुआ है
शिक्षा का संसार हमारा
जहाँ हैं भांति-भांति के लोग
फिर भी अनोखा है रिश्ता हमारा
सभी की अलग है भाषा-संस्कृति
फिर भी करना विस्तार ज्ञान का ये लक्ष्य हमारा
रिश्ता हमारा हर जाति-धर्म से ऊँचा
साहित्यिक शिखर को पाना हमसब का ये लक्ष्य हैं न्यारा
इंटरनेट को सीढ़ी बनाकर हमें
मंज़िल की ओर कदमों को है बढ़ाना
धन्यवाद है इंटरनेट को, जिसने
असीमित ज्ञान का है भंडार दिया
हो कोई परेशानी या उलझन
इंटरनेट ने झट से उसका हमें वृहद् समाधान दिया..!!
शालिनी कुमारी
शिक्षिका
मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार )
(स्वरचित मौलिक कविता )
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