दुधिया चश्मा
जब गुंचा-ए–गुल मां के आँगन में जो खिल आता है,
उल्फत की धरती से चश्मा भी उबल आता है।
सींचा खुं से, दूध से फिर सींचा गुल जाता है,
आंचल में इस बागबान के गुल चहल जाता है।
स्तनपान मिला हुआ, खुदा से एक उपहार है,
मां बच्चे दोनों पे ही अल्लाह का उपकार है।
बच्चों का स्तनपान गर सर्वोत्तम आहार है,
तो मां की भी ज़िंदगी का खूब आधार है।
कुदरत के इस चश्मे से बस सिहत ना फलता है,
स्तनपान से रिश्ता मां बच्चे का भी परवान चढ़ता है।
ये तो कुपोषण से बच्चों को बचाता है जी,
कोसों यह तो दूर संक्रमण ले जाता है जी।
प्रतिरोधक क्षमता बच्चों में बढ़ाता है जी,
स्तनपान से संतुलित आहार मिल पाता है जी।
कुदरत के इस चश्मे से बस सिहत ना फलता है,
स्तनपान से रिश्ता मां बच्चे का भी परवान चढ़ता है।
संभावना रोग की भी मां में कम होती है,
यह रक्तक्षय रोग को भी घटा देती है।
और कैंसर के पनपने में कमी आती है,
स्तनपान से लाभ माताओं को हो जाती है।
कुदरत के इस चश्मे से बस सिहत ना फलता है,
स्तनपान से रिश्ता मां बच्चे का भी परवान चढ़ता है।
स्तनपान दो साल तक लोगों कराना है सुन,
और पहले घंटे पे दूध मां का पिलाना है सुन।
छह माह पर ठोस आहार खिलाना है सुन,
नियमित सफाई पे भी है कान रखना है सुन।
डब्बे के दूध से परहेज़ करना है सुन,
स्तनपान से जागरूक सब को कराना है सुन।
कुदरत के इस चश्मे से बस सिहत ना फलता है,
स्तनपान से रिश्ता मां बच्चे का भी परवान चढ़ता है।
मो० नसीम रेजा
प्रा० वि० पौआखाली
पोठिया किशनगंज