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एक शिशु का स्तनपान-धीरज कुमार

Dhiraj

एक शिशु का स्तनपान

जन्म लिया जब धरती पर शिशु का

तब जग से था मैं अनजान।

खुद को पाया मां के पास तो

हो गई मां से पहचान।।

जन्म के बाद मां ने मुझको

करवाया स्तनपान।

एक शिशु के लिए मां का गाढ़ा पीला दूध

ही तो है उसका खान-पान।।

पीकर मां के स्तन का दूध

मिलता है सुख अमृत समान।

बल, पोषक तत्व, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

हो जाता हूं मैं ऊर्जावान।।

जन्म से लेकर छः माह तक निरंतर करवाती है माता मुझको अपना स्तनपान।

कुपोषण से लड़ जाता हूं बीमारी दूर भगाता हूं स्तनपान करके मैं बन जाता हूं बलवान।।

मेरी माता भी खुद का रखती है पूरा ध्यान।

संतुलित भोजन करती है ताकि मिलता रहे मुझे भी स्तनपान का वरदान।।

सुना है मैंने कितनों को कहते कि

मां का दूध पिया है क्या?

सोचो कितनी ताकत है मां के दूध में

हर माता बच्चों को कराए स्तनपान।।

मगर ऐसी भी है विडंबना

कुछ माता हो जाती है गलतफहमी का शिकार ।

डरती है कि सुंदरता खत्म न हो उनकी,

इस डर से करवाती नहीं है स्तनपान।।

सोचो ऐसे में उनके बच्चों का क्या होगा?

हर समय कमजोर रहेगा,

हमेशा कई बीमारी से लड़ेगा।।

मैया ज्यादा सोचे बिना सदा शिशु को करवाओ अमृत तुल्य दुग्ध का स्तनपान।

मजबूत शरीर और स्वस्थ शरीर से ही तो

मैं आगे बढ़कर बढ़ाऊंगा आपका मान।।

धीरज कुमार
U M S सिलौटा
भभुआ (कैमूर)

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