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गुलामी का अवसान-अर्चना गुप्ता

गुलामी का अवसान 

है हिन्द-सिंध अपना हिय सनातन
आजादी का यह दिव्य पर्व महान
गुलामी कलुषित कालिमा का
आज ही के दिन हुआ अवसान

सदियों फैली पीड़ित मानवता
गुलामी की बेड़ियों में थी जनता
अंग्रेजी दमन से मिली तब मुक्ति
एकजुट हुई जब भारतीय जनता
अखंड हो गया खंडित भारत
मिली अपनी संपूर्ण पहचान

गुलामी कलुषित कालिमा का
आज ही के दिन हुआ अवसान

रक्त की जाने कितनी धार बही
कितनी माँओं की सूनी कोख हुई
माँ भारती की अस्मिता की खातिर
जाने कितनी ही सेना कुर्बान हुई
हिंदु मुस्लिम और सिख ईसाई
सब भारत माता की हैं पहचान

गुलामी कलुषित कालिमा का
आज ही के दिन हुआ अवसान

यह गाँधी के सपनों का भारत
लोकहित निज-अस्तित्व समाहित
करते अहर्निश हम राष्ट्र वंदना
बैर-भाव से न हो कोई आहत
हो सर्वधर्म समभाव समन्वय
मातृभूमि का करें मिल यशोगान

गुलामी कलुषित कालिमा का
आज ही के दिन हुआ अवसान

हो सौम्य उज्जवल धवल छवि
जन-जन की हो पहचान यही
है मातृभूमि से ही अपना गौरव
सिर मुकुट शोभित है हिमगिरि
गंगा की पावन जलधारा संग
मस्तक कर लें हम दिव्यमान

गुलामी कलुषित कालिमा का
आज के ही दिन हुआ अवसान

 

अखंड भारत

पनप रहे हर शब्द बीज से
अखंड भारत का वटवृक्ष बनेगा ,
अबोल स्वप्न नैनों में सजाए
नवसृजन का नव द्वार खुलेगा ,
बँट रहे हों भले देश कितने
भारत अखंड है अखंड रहेगा
आत्म चेतना जागृत करके
अहर्निश नया आह्वान होगा ,
सर्वधर्म समभाव समन्वय
हर गली जयकार होगा ,
बँट रहे हों भले देश कितने
भारत अखंड है अखंड रहेगा
बुलंदियों के अनंत आकाश में
हिंदवीरों का शौर्यगान होगा ,
राह की हर बाधा को मोड़
जीवन का नया संग्राम होगा ,
बँट रहे हों भले देश कितने
भारत अखंड है अखंड रहेगा
संघर्षों के कर्तव्य पथ पर
अनवरत अडिग कदम बढ़ेगा,
दूर कितनी भी हो मंजिल
कदम कभी ना अब रूकेगा ,
बँट रहे हों भले देश कितने
भारत अखंड है अखंड रहेगा
आजादी के हर शंखनाद पर
समय नया इतिहास लिखेगा ,
लहू बहाकर देश की खातिर
स्वर्णिम नूतन अध्याय सजेगा ,
बँट रहे हों भले देश कितने
भारत अखंड है अखंड रहेगा।

प्यारा भारत

गर्व है मुझे इस धरा पर
जहाँ मुनियों ने अवतार लिया
सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाकर
मानवता का उद्धार किया
माटी का हर कण-कण पावन
ऐसा अपना प्यारा भारत
राम, कृष्ण, गौतम की धरती
यहाँ कई संस्कृतियाँ हैं पलती
धरती का बसता स्वर्ग यहीं
उर्वर है इस देश की धरती
सुन्दर सा है यह विश्वदुलारा
ऐसा अपना प्यारा भारत
पर्वतराज बना हुआ है प्रहरी
बहती यहाँ कई नदियाँ गहरी
यहाँ सभी धर्मों का संगम
प्रकृति की हर छटा सुनहरी
सर्वधर्म समभाव समन्वय
ऐसा अपना प्यारा भारत
गौरवशाली अतीत है इसका
हिन्दी है इस देश की बिन्दी
तीन रंगों से है बना तिरंगा
है भाषा यहाँ की सतरंगी
अनवरत चलें हम प्रगति पथ पर
ऐसा अपना प्यारा भारत
सुन्दर अदभुत न्यारा भारत।

 

अर्चना गुप्ता
म . वि . कुआड़ी
अररिया बिहार

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