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हिंदी की जय हो- भोला प्रसाद शर्मा

हिंदी की जय हो

देश हमारा अलख जगाए
खुशियां सबका मन हर्षाए
निर्भया का क्लेश मिटाए
ये समरसता सबको भाये
ऐसी जन जन में तय हो
हिंदी की जय हो

मधुर हमारा चंचल मन
ओज तेजस्वी ये जीवन
अश्रु दिखाए अपनापन
सजे कृष्ण सा ये मधुवन
अकारण न कोई भय हो
हिंदी की जय हो

सत्य अहिंसा की हो गाथा
समर्पण मन की हो व्यथा
सखा सुदामा की ख्याति
योग मिलाए जो विधाता
मन एक अविरल लय हो
हिंदी की जय हो

श्रृंखला हो जिसका भाल
अद्वैत जहां भरत सा लाल
जहां सजी चिड़ियों से डाल
रक्षक जिनका स्वयं त्रिकाल
यहां न किसी का क्षय हो
हिंदी की जय हो

खड़ी-खरोष्ठी सबको भाता
भाई दंडवत से जी चुराता
हाय-हैलो से मन मुस्काता
डैड-ममी कह प्यार जताता
न ऐसी कभी कोई प्रलय हो
हिंदी की जय हो

ये मातृभूमि की शान निराली
चहुं दिशाओं से बजती ताली
गंगा यमुना सतलज की धारा
पंच-त्रिवेणी की संगम न्यारा
श्रृष्टि से कभी न विलय हो
हिंदी की जय हो

भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ, पूर्णिया(बिहार)

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