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होली-विजय सिंह नीलकण्ठ

होली

रंगों की बौछार लेकर
देखो आई है होली
साथ अबीर का थाल लेकर
देखो आई है होली।

साथ में मिलकर निकल चुके हैं
देखो बच्चों की टोली
हर कर में पिचकारी दिखती
दिखता जेब अबीर झोली।

पिंपल डिंपल सिंपल सबके
चेहरे दिखते खिले खिले
कटुता को भुलाकर सखियॉं
एक दूजे के गले मिले।

दही बारे वह गुपचुप छोले
घर घर बने पकवान पुए
खट्टे मीठे व्यंजन खाकर
मानव प्राणी मुदित हुए।

रंग-बिरंगे चेहरे दिखते
कपड़े दिखते हैं रंगोली
बसंत ऋतु की मान बढ़ाने
आती है उत्सव होली।

हैप्पी होली हैप्पी होली
सुन हिय में भर जाता हर्ष
खुशी तिगुनी हो जाती
जब मिलता कपोल स्पर्श
ऐसी ही अद्भुत खुशियॉं देने
आती होली है हर वर्ष।

विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम

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