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झंडा गीत-भोला प्रसाद शर्मा

Bhola

झंडा गीत

झंडा ऊँचा लहराता हूँ,
भारत का गीत मैं गाता हूँ।
सीख ये सबको सिखाता हूँ,
सबसे आगे शीश झुकाता हूँ।

तीन रंग का है यह झंडा,
इसकी अलग पहचान है।
हर देशों से है ये जुदा,
अलग इसकी सम्मान है।

झुकने देंगे कभी नहीं हम,
न झुकना कभी सिखलाता हूँ।

झंडा ऊँचा लहराता हूँ,
भारत का गीत मैं गाता हूँ।

ऊपर की है रंग अनोखी,
बलिदान की गाथा गाया है।
पुत्र भाई बहन की खातिर,
हर अपना शीश उड़ाया है।

रक्त नीर बहा जैसा मैं,
मस्तक टीका लगवाता हूँ।
झंडा ऊँचा लहराता हूँ,
भारत का गीत मैं गता हूँ।

मध्य भाग जो चक्र अड़े हैं,
कर्म पथ की प्राण खड़े हैं।
सत्य न्योछावर शान्ति बीड़ा,
सत्य सम्मुख पहचान जड़े हैं।

शान्ति का स्तूप गढ़ा सब,
कण-कण में आस सजाता हूँ।
झंडा ऊँचा लहराता हूँ,
भारत का गीत मैं गता हूँ।

निम्न भाग हरियाली पसरा,
हरित राग सम श्याम सुनहरा।
धन वैभव समृद्धि धरा अब,
स्वर्ग यहीं अवतार लिए तब।

नवरस की रसपान कराकर,
मधुर मन मीत बनाता हूँ।
झंडा ऊँचा लहराता हूँ,
भारत का गीत मैं गाता हूँ।

पहड़ा इन पर लाखों डाले,
वन-उपवन में बरछी-भाले।
भाल हिमालय चरण हिन्द का,
सुशोभित धरा चहुँ ओर विन्ध्य का।

जहाँ कुम्भ ताज़ पावन धरती पर,
गीत गुंजन मुस्काता है।
झंडा ऊँचा लहराता हूँ,
भारत का गीत मैं गाता हूँ।

भोला प्रसाद शर्मा (शिक्षक)
प्राथमिक विद्यालय गेहुँमा (पूर्व) डगरूआ
पूर्णिया (बिहार)

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