कलम या तलवार
है तेज तलवार से, कलम की धार,
आओ करें इस पर विचार।
बोलती है कलमें, सब कुछ लिखती है कलमें।
जीवन लिखती, मृत्यु लिखती,
सच झूठ में फर्क बताती है कलमें।
कवि, लेखक, शायर बनाती,
जीवन का अंधकार मिटाती है कलमें।
है कलम की ताकत जिसके पास,
न होता कभी वह बेबस या लाचार।
कलम से शिक्षक देश का भविष्य लिखते हैं,
तो बच्चे ज्ञान का दीपक जलाते।
न्यायाधीश फांसी भी लिखते,
तो डॉक्टर मर्ज की दवाई।।
कलम के बिना अधूरी जिंदगी,
कलम जिसकी बन जाए संगिनी।
महक उठती उसकी जीवनी।।
महंगी होती सस्ती होती, सोने चांदी धातु की भी।
पर लिखती है कलमें किस्मत ही।
“कलमकार” से है समाज को आस,
कि उसकी लेखनी लाएगी प्रकाश।।
पर जग जिद बन जाए कलम की धार,
आपको बना देती है बेकार ।
बिना सोचे समझे मत लिखो
क्योंकि मिटती नहीं इसकी रफ्तार।
समाज में हमें सम्मान दिलाती है कलमें,
इतिहास लिखती तो, बर्तमान भी दिखाती है कलमें।
लेखनी का मूल मंत्र, लिखो हमेशा स्वतंत्र।
गुलामी की जंजीर भी तोड़ती
तो हक भी दिलाती है कलमें।
प्रेयसी का प्यार, मां की ममता, बच्चों का दुलार
कलम तो लिख देती है, सारा संसार।
अगर बोल न सको तो लिख डालो,
भावनाएं लेती है कलमें उतार।
कलम बड़ी या तलवार? पूछते सभी बार-बार,
मेरे मन में आया विचार, कलम से कमजोर है तलवार।
तलवार कत्ल करती बस एक बार,
कलमें यदि चोट करती तो
इंसान मरता पल पल हर बार।
तलवार का वार जा सकता है कभी कभी खाली भी। पर कलम की चोट नहीं जाती कभी खाली।
अधूरी है जिंदगी बिना कलम और पढ़ाई,
तलवार ने कभी न जीवन में ऐसी जगह बनाई।
माना कि डरते सभी तलवार से,
पर तलवार भी डर जाती है लेखनी की धार से।
तुम जीतो तलवार से,
पर मैं कलम से जीत जाऊंगी संसार।
आओ हम भी कलम को ताकत बनाएं,
तलवार को हमेशा के लिए भूल जाए
क्योंकि हमारे सपने भी सवांरती है कलमें,
हमें जीना सिखाती है कलमें।।
चॉंदनी झा